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स्वस्तिक - ब्रह्म ऊर्जा ( SWASTIK - BRAHMA URJA )

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  स्वस्तिक - ब्रह्म ऊर्जा                                 स्वस्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिक  कल्याण करने वाला प्रतीक है स्वस्तिक।  स्वस्तिक को ब्रह्मांड का प्रतीक चित्र माना गया है। इसकी चार भुजाएं ब्रह्माण्ड की ऊर्जा के फैलाव की दिशा बताती है। स्वस्तिक को गणपती का चिह्न माना गया है। यह गूढ़ रहस्यों से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसे सूर्य का प्रतीक भी माना गया है।  स्वस्तिक को चार युगों से भी जोड़ा गया है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा गणेश जी के शक्ति का स्थान माना जाता है, जिसका बीज मंत्र "गं" होता है। इसमें चार बिंदियां होती हैं, इनमें गौरी, पृथ्वी, कच्छप और अनंत देवताओं का वास बताया जाता है। यह अति पवित्र और कल्याणकारी ऊर्जा लिए मंगल चिह्न है।  स्वस्तिक बनाने का विधान      स्वस्तिक का हमेशा पहले दाएं का भाग बनाते हैं और फिर बाएं का भाग बनाते हैं। इस तरह बने स्वस्तिक को ही शुभ मन जाता है।स्वस्तिक बनाते समय एक रेखा दूसरी रेखा को नहीं काटनी च...

नैना देवी मंदिर - आस्था स्थली ( NAINA TEMPLE )

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  नैना देवी मंदिर  उत्तराखंड नैनीताल में स्थित नैना देवी मंदिर एक आस्था स्थली है। यहाँ वासंतिक और शारदीय नवरात्रों में अनेक श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। सावन में भी भारी संख्या में भक्तगण आते हैं।  पौराणिक मान्यता के अनुसार नैनीताल में एक स्थल पर महर्षि अत्रि, पुलस्त्य और पुलह ने तपस्या की और मानसरोवर से जल लाकर एक सरोवर का निर्माण किया जिसे "भिऋषि सरोवर" और आजकल "नैनी झील" नाम से जानते हैं। इसी पवित्र झील के एक सिरे पर स्थित है माँ नैना देवी का मंदिर।                                            मान्यता है कि माँ उमा देवी अपने पिता राजा दक्ष प्रजापति द्वारा यज्ञ में अपने पति शिव के अपमान से आहत हो यज्ञ के हवन कुंड में कूद पड़ी और सती हो गयीं। सती के पार्थिव शरीर को कंधे पर डाल शिव भगवान आकाश मार्ग से चल पड़े। इस यात्रा के दौरान जहाँ सती की बायीं आँख गिरी थी वही स्थान नैना देवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह भी मान्यता है कि सती के आँख गिरने से ही नैना झील बनी।...

गंगा नदी ( RIVER GANGA )

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  भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदी गंगा पवित्र नदियों में सबसे पवित्र है।गंगा नदी एक प्राकृतिक सम्पदा ही नहीं जन ज न की भावनात्मक आस्था का आधार है।  गंगा नदी की प्रधान शाखा भागीरथी है जो उत्तराखंड के गढ़वाल में हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद ( गुरुकुल ) से 3140 मीटर ऊंचाई पर निकलती है। यह बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भूभाग की कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी को सींचती है।  2071 किलोमीटर तक भारत में लम्बी यात्रा करते हुए यह सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के अति विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती है। पश्चिम बंगाल में पहुंचने के बाद गंगा नदी दो भागों में बट जाती है। इन दो नदियों का नाम है -      पद्मा नदी   एवं       हुगली नदी  हुगली नदी को आदि गंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह अंततः सागर द्वीप के पास बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है।  दूसरी नदी पद्मा भी बांग्लादेश से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।  सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि के अत्यंत महत्वपूर्ण गंगा का...

नमामि गंगे ( NAMAMI GANGE )

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  गंगा नदी का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है और इस पर भारतवर्ष की चालीस प्रतिशत आबादी निर्भर है। अतः गंगा नदी का संरक्षण आवश्यक है जो बहु क्षेत्रीय और बहु आयामी है। इस हेतु इसमें कई हित धारकों की भूमिका बनती है।  इस सोच के कार्यान्वयन हेतु भारत सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए   नमामि गंगे  के एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन को प्रारम्भ किया।  #ganga #river  goforblessings.blogspot.com  goforblessings writes on namami gange. readers of goforblessings will appreciate the article on namami gange project.

राम सेतु ( RAM SETU )

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राम  सेतु  श्री लंका के उत्तर पश्चिमी तट के मन्नार द्वीप से भारतवर्ष के दक्षिण पूर्वी तट के किनारे रामेश्वरम द्वीप के मध्य 48 किलोमीटर लम्बा एक श्रृंखला ( मार्ग ) है। कुछ रेतीले तट शुष्क हैं तथा इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है। यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पाक जल डमरू मध्य को एक दूसरे से अलग करता है।  श्री राम एवं उनकी वानर सेना द्वारा सीता माता को रावण से मुक्त करने के लिए इस सेतु का निर्माण उनके दो वानर सैनिक प्रमुख रूप से नल एवं नील द्वारा कराई गई थी। भौगोलिक प्रमाणों से ऐसा विदित होता है की पूर्व में यह सेतु भारत और श्रीलंका को आपस में जोड़ता था।  #रामसेतु #श्री राम #माता सीता #नल #नील #श्री हनुमान #श्री लंका #भारतवर्ष  goforblessings.blogspot.com goforblessings writes about ram setu. readers of goforblessings will appreciate this article on ram setu.

कैलाश मानसरोवर

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  कैलाश  मानसरोवर  कैलाश मानसरोवर  कैलाश मानसरोवर पर्वत भगवान शिव जी का निवास स्थान है। कोई भी मनुष्य इस पर्वत पर चढ़ नहीं सका है। अनेक लोगों ने इसे देखने का विभिन्न प्रयास किया। उपरोक्त वीडियो में उन अविश्वसनीय, विचित्र और विस्मयकारी दृश्यों का विवरण है।  goforblessings writes on kailash mansarovar. viewers will celebrate and worship god the father bhagwan shiva.

सुजलां सुफलाम् मलयजशीतलां

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    जन्मभूमि का स्थान स्वयं से भी श्रेष्ठ एवं महान है। यह पुण्य क्षेत्र है ; अमल, असीम और त्याग से विकसित। इसका वात्सल्य विभिन्न रूपों में समस्त लोगों पर न्योछावर है। इसकी महत्ता सभी भौतिक सुखों से कहीं अधिक है। अतः इसकी रक्षा एवं सम्मान करना मनुष्यता का परम उत्तरदायित्व है और उसके स्वयं के विकास को चरितार्थ करता है।       जो  भरा  नहीं  है  भावों  में         बहती जिसमें  रस धार नहीं।      ह्रदय  नहीं   वह  पत्थर  है          जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं। विभिन्न कलाओं एवं अभिव्यक्तियों से ही  सुजलां   सुफलां   मलयजशीतलां  की पावन धरती पर भगवान आ बसते हैं  नमन  goforblessings writes on sujalaam suphalaam malayajshitalaam  goforblessings celebrates sujalaam suphalaam malayajshitalaam and offers prayer to noble god the father. viewers will also celebrate and bow to the noble god the...