स्वस्तिक - ब्रह्म ऊर्जा ( SWASTIK - BRAHMA URJA )
स्वस्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिक
कल्याण करने वाला प्रतीक है स्वस्तिक।
स्वस्तिक को ब्रह्मांड का प्रतीक चित्र माना गया है। इसकी चार भुजाएं ब्रह्माण्ड की ऊर्जा के फैलाव की दिशा बताती है। स्वस्तिक को गणपती का चिह्न माना गया है। यह गूढ़ रहस्यों से जुड़ा हुआ माना जाता है। इसे सूर्य का प्रतीक भी माना गया है।
स्वस्तिक को चार युगों से भी जोड़ा गया है। स्वस्तिक का बायां हिस्सा गणेश जी के शक्ति का स्थान माना जाता है, जिसका बीज मंत्र "गं" होता है। इसमें चार बिंदियां होती हैं, इनमें गौरी, पृथ्वी, कच्छप और अनंत देवताओं का वास बताया जाता है।
यह अति पवित्र और कल्याणकारी ऊर्जा लिए मंगल चिह्न है।
स्वस्तिक बनाने का विधान
स्वस्तिक का हमेशा पहले दाएं का भाग बनाते हैं और फिर बाएं का भाग बनाते हैं। इस तरह बने स्वस्तिक को ही शुभ मन जाता है।स्वस्तिक बनाते समय एक रेखा दूसरी रेखा को नहीं काटनी चाहिए। स्वस्तिक का निर्माण सबसे पहले नौ बिंदियां लगाकर करना चाहिए। ये नौ बिंदु नवग्रह के प्रतीक माने जाते हैं।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी नए कार्य की शुरुआत करने से पहले स्वस्तिक बनाया जाता है। स्वस्तिक चन्दन, हल्दी या कुमकुम से बनाना शुभ होता है।
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goforblessings.blogspot.com
goforblessings writes about swastik brhma urja. noble person will celebrate the brhma urja. god the father will appreciate this celebration of noble person.
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