माता वैष्णो देवी
पौराणिक कथानुसार माता के तीन मूल रूप -
माता महाकाली
माता महालक्ष्मी
माता महासरस्वती
ने स्वयं के आध्यात्मिक शक्तियों को एकत्रित करके मिलाया। इस परस्पर मिले एक दिव्य रूप में एक तीव्र ज्योति ने स्वरुप लिया जो माँ वैष्णो देवी नाम से समस्त विश्व में सुविख्यात हुईं। वे सद्गुणों, सदाचार की स्थापना, उक्त गुणों की रक्षा एवं प्रचार - प्रसार के लिए इस धरती पर आयीं।
महाकाव्य के अनुसार माँ वैष्णो देवी ने दक्षिण भारत में जन्म लिया। धर्मपरायण और महा गुणी माँ समुद्र किनारे अपने आराध्य देव की तपस्या में लीन हो गयीं।भगवान श्री राम ने उनकी प्रगाढ़ तपस्या से प्रसन्न हो, उनके समक्ष आकर वचन दिया की उनकी दिव्यता की स्तुति सर्व जगत में होगी और वे त्रिकुटा वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी। वे अमरत्व प्राप्त करेंगी।
तत्पश्चात माँ त्रिकुटा की पहाड़ियों पर आ बसीं। ये पहाड़ियाँ आज के केंद्र प्रशासित जम्मू कश्मीर में जम्मू क्षेत्र के कटरा नगर के समीप है।
एक प्राचीन मान्यता के अनुसार देवी माता का एक परम भक्त श्रीधर के अत्यंत दयनीय होने के कारण उसके द्वारा आयोजित एक भोज कार्यक्रम के असफल होते देख, स्वयं प्रकट हो उसकी सम्पूर्ण सफल व्यवस्था की। इस प्रकार भक्त श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न हुई माता ने उसकी लाज रख ली।
इसी मध्य स्वार्थी भैरवनाथ ने उस रहस्यमय दिव्यता को देखा, जिसमें अलौकिक शक्तियों का दर्शन परिलक्षित हो रहा था। इसके परीक्षण स्वरुप उस दिव्यता को ढूँढने निकला।
त्रिकुटा पहाड़ियों में भैरवनाथ ने दिव्य रूप को ढूंढ निकाला, परन्तु वे इन्हीं पहाड़ियों की एक गुफा में प्रवेश कर गयीं। इसी गुफा में देवी माँ नौ महीनों तक तपस्या में ध्यानमग्न रहीं और आध्यात्मिक ज्ञान और शक्तियां प्राप्त कीं।
भैरव नाथ दिव्य रूप को ढूँढता रहा और उन्हें खोज निकाला, पर माँ गुफा के दूसरे मार्ग से निकल गयीं।यह गुफा आज अर्द्ध कुमारी नाम से प्रसिद्ध है। यहीं माँ के चरण पादुका के भी दर्शन होते हैं।
भैरवनाथ निरंतर पीछा करता रहा, पर अन्ततः विवश होकर देवी माँ आदिशक्ति जगदम्बा महाकाली का रूप धारण कर भैरव का सिर धड़ से अलग कर वध कर दिया। भैरव का सिर प्राचीन गुफा से लगभग तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी नामक स्थान पर जा गिरी।
मृत्यु से पूर्व भैरवनाथ को अपने भूल का पश्चाताप हुआ और क्षमायाचना की भीख माँगी। ज्ञानी माँ ताड़ गई कि भैरवनाथ की प्रमुख मंशा मोक्ष प्राप्त करने की थी। अतः दयामयी माँ ने भैरवनाथ को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति देते हुए वरदान दिया कि मेरे भक्तों की तीर्थ यात्रा तब तक संपन्न नहीं होगी जब तक वे श्रद्धालु मेरे दर्शन के बाद तुम्हारे भी दर्शन नहीं करते।
तत्पश्चात, माता त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में स्वयंभू तीन पिंडी ( सिर ) सहित एक चट्टान का आकार ग्रहण कीं और सदा के लिए ध्यानमग्न हो गयीं।
मान्यतानुसार परम भक्त श्रीधर को दिव्य स्वप्न में माता ने दर्शन दिया और अपनी गुफा के बारे में बताया। श्रीधर अधीर हो, त्रिकुटा पर्वत की ओर माता के दर्शन हेतु निकल पड़े। अंततः उन्हें सफलता मिली और उक्त गुफा के द्वार तक पहुँचे और अंदर प्रविष्ट हुए। उन्होंने कई विधियों से पिंडी की पूजा की और इसे दिनचर्या में शामिल किया।
देवी माता श्रीधर की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया। तभी से श्रीधर और उनके वंशज देवी माँ की पूजा करते आ रहे हैं।
इस तरह से देवी माता के दर्शन के लिए उनके श्रद्धालु जाने लगे। अभी लाखों तीर्थ यात्री प्रत्येक वर्ष दर्शन के लिए जाते हैं। लम्बे अंतराल में देवी माता की पवित्र गुफा, उनकी सम्पूर्ण व्यवस्था तथा आने जाने के साधनों में उच्चतर बदलाव किये गए हैं।
भक्त गणों को 5200 फ़ीट ऊंचाई पर त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित शक्ति को समर्पित विश्व प्रसिद्ध प्राचीन एवं पवित्रतम माता वैष्णो देवी मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 12 किलोमीटर की दूरी कटरा से करनी होती है।
पवित्र गुफा जिसमें माता ने स्थान ग्रहण किया है उसकी लम्बाई 98 फ़ीट है। इस पवित्र गुफा को माता का भवन कहा जाता है। इसमें स्वयंभू तीन पिंडी के रूप में देवी महाकाली ( दायें ), महासरस्वती ( बायें ) तथा महालक्ष्मी ( मध्य ) एक चट्टान पर विराजित हैं।
चट्टान सम्मिलित इन तीन पिंडी को वैष्णो देवी माता कहा जाता है। वे वैष्णवी या माता रानी नाम से भी विख्यात हैं।
यहीं उन्होंने भैरवनाथ का वध किया था। जिस स्थान पर सिर गिरा उसकी दूरी लगभग तीन किलोमीटर है और वह स्थान भैरवनाथ का मंदिर नाम से जाना जाता है।
लाखों तीर्थ यात्री अपनी आराध्य माता वैष्णो देवी का दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेने आते हैं। वे अपने श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण कर सुख शान्ति प्रदान करती हैं ।
नमामि
goforblessings writes on the goddess mata vaishno devi
goforblessings celebrates the goddess mata vaishno devi. viewers will worship and celebrate the goddess.
I pray to MATA DEVI for SHE is ever kind and blesses to all who bow to HER.
ReplyDeleteSit and listen to MATA DEVI
ReplyDeleteExpect Her to speak to you
Through HER WORD AND VOICE
OF THE SPIRIT INSIDE YOU.
P E A C E
Maa Vaishnodevi shower her blessings.
ReplyDeleteA PLACE TO VISIT MANY TIMES
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