वायु नहीं, प्राण नहीं





वायु अथवा हवा के बिना मनुष्य जीवन संभव नहीं है। पृथ्वी, जहाँ वायु है, इसमें मनुष्य के अतिरिक्त पेड़-पौधे और पशु-पक्षी का जीवन है। मनुष्य भोजन के बिना कई दिनों जीवित रह सकता है किन्तु वायु के बिना एक दिन भी नहीं। 
वायु भौतिक है जो पारदर्शक, स्वादहीन, रंगहीन एवं गंधहीन है। हवा विभिन्न गैसों का मिश्रण है जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड व् अन्य। 
वायु में भार है व् असरदायक है जिसे वायुदाब कहते हैं। वायुदाब की विभिन्नता के कारण वायु में बहाव है, जिसे पवन कहते हैं। 


मानव को जीवित रहने के लिए शुद्ध हवा आवश्यक है, जिसमे ऑक्सीजन अनिवार्य है।  मानव ऑक्सीजन युक्त हवा लेकर कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ता है। साथ ही, कोयला, लकड़ी, ईंधन तेल आदि जलाने में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। जो ज्वलन क्रिया पश्चात् कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित होता है। वायु को अन्य भौतिक कार्यों हेतु भी उपयोग किया जाता है जैसे उड़ान, परिवहन, विद्युत् आदि। 



मनुष्य को ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिये जो कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं। इस प्रकार वायुमंडल में संतुलन बनाने के लिए यह चक्र आवश्यक है। इसलिए वायुमंडल मनुष्य जीवन का आधार है। 
मनुष्य का परम कर्त्तव्य है की हवा को प्रदूषित होने से बचाने का भरपूर प्रयास करे ताकि वायुमंडल सदा स्वच्छ रहे और शुद्ध वायु मिले। 
वायु प्राणदायिनी है जो प्रत्येक प्राणी व् पेड़-पौधे के लिए परमावश्यक है। इसकी कृपा बनी रहे। 
नमामि 

goforblessings writes on vayu nahi, pran nahi

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Comments

  1. Air and water are the most essentials for existence of mankind.
    We are blessed so we exist.
    We must strive for keeping them clean continuously.

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  2. We feel blessed when we breath air with a fragrance of flowers.

    ReplyDelete

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