सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी

 





परम वंदनीय त्रिदेव के नाम से विदित देवता- ब्रह्मा, विष्णु और महेश में ब्रह्मा जी को  स्वयंभू, चार वेदों के निर्माता एवं सृष्टि के रचनाकार ; भगवान श्री हरी विष्णु को संसार का पालनहार तथा भगवान महेश को सृष्टि का विध्वंशकारी कहा जाता है।  
पद्मपुराण के अनुसार सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी एवं उनकी पत्नी सावित्री के सम्बन्ध में निम्न घटनाक्रम का विवरण दिया गया है 👇
देवता ब्रह्मा जी ने जब एक दुष्ट राक्षस को उसके कर्मो के दंडस्वरूप उसका वध किया तभी उनके हाथों से सहसा कमल का पुष्प गिर गया। उसी स्थल को पुष्कर कहा गया, जो अजमेर, राजस्थान में है। 
कमल पुष्प के गिरने के पश्चाताप से ग्रसित देवता ब्रह्मा ने इसी स्थान पर यज्ञ का आयोजन प्रारम्भ किया, पर पत्नी सावित्री के समय पर न पहुंचने पर एक ग्वाल बाला से विवाह कर यज्ञ आरम्भ किया। इसी बीच उनकी पत्नी सावित्री पहुँच गयीं और यह देख क्रोधित हो ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस संसार में आपका कोई मंदिर नहीं होगा, न ही पूजा। 
बाद में, पश्चाताप स्वरुप उन्होंने केवल पुष्कर में हीं कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा जी की पूजा करने की अनुमति दी ; पर किसी भी अन्यत्र मंदिर में नहीं अन्यथा उसका विनाश निश्चित है। 


ब्रह्मा जी के यज्ञ में भगवान विष्णु और भगवान महेश भी थे, अतः वे भी श्राप के भागीदार हुए। उन्हें भी पत्नी विरह का कष्ट सहना पड़ा। जब भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में मानव अवतार लिया तो उन्हें वनवास के दौरान पत्नी विरह सहना पड़ा और भगवान शिव को माता शती के विरह को सहना पड़ा। 
भगवान विष्णु और भगवान शिव के अनेक प्राचीन मंदिर संसार में हैं परन्तु देवता ब्रह्मा, जो सृष्टि के रचनाकार हैं उनका नहीं है। 
देवता ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता मानते हुए उनका आदर करते हैं। 

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Comments

  1. I offer my respect to lord Brahma - the creator.

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  2. I praise the Lord for being the creator of the ends of this universe. We know no ends of it.

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  3. Lord, You made heaven and earth. Nothing is difficult for You.
    I extol My Lord.

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  4. I offer my prayer to the lord of the universe and seek His blessings.

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