देवी माँ विंध्यवासिनी

 




विंध्य पर्वत श्रृंखला, मिर्ज़ापुर, उत्तर प्रदेश के मध्य- पहाड़ियों में पतित पावनी गंगा के कल-कल करती धाराओं के कंठ पर विराजमान एवं अनुपम छटा बिखेरती प्रकृति में माँ विंध्यवासिनी विराजमान हैं।
 
                            विन्ध्येचैवनग - श्रेष्ठे  तवस्थानंहि  शाश्वतम् ।

           हे माता ! पर्वतों में श्रेष्ठ विंध्याचल पर आप सदैव विराजमान रहती हैं।
माँ विंध्यवासिनी मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। माँ अलौकिक प्रकाश के साथ यहाँ विराजमान रहती हैं। 
माँ विंध्यवासिनी एक ऐसी जागृत शक्तिपीठ हैं जिसका अस्तित्व सृष्टि आरम्भ होने से पूर्व और प्रलय के पश्चात भी रहेगा। अतः इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता। इस सृष्टि का विस्तार उनके ही शुभाशीष से हुआ है। 
विंध्याचल निवासिनी देवी लोक हिताय, महालक्ष्मी, महाकाली तथा महा सरस्वती का रूप धारण करती हैं। वे असुरों का नाश करने वाली भगवती यन्त्र की अधिष्ठात्री देवी हैं। यहाँ आदिशक्ति देवी के विभिन्न रूपों का सौभाग्य भक्तों को प्राप्त होता है। उनके पूरे विग्रह के दर्शन प्राप्त होते हैं। 
विंध्याचल का महत्व तपोभूमि के रूप में विख्यात और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। जो श्रद्धालु इस स्थान पर तप करता है, उसे संकल्प मात्र से सिद्धी प्राप्त होती है। मनवांछित फल प्राप्त होता है। इस कारण यह क्षेत्र सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है। देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। 
पुराण कथा अनुसार जन्मे बाल श्री कृष्ण से बदली गयी यशोदा पुत्री का नाम एकानंशा था, जिसे कंस  द्वारा मारने का प्रयत्न करते समय अपना दिव्य स्वरुप प्रदर्शित कर कंस के वध की भविष्यवाणी कर भगवती विंध्याचल में वास करने चली गई। उन्हें ही आज विंध्यवासिनी देवी के रूप में पूजा जाता है। 


दूसरी कथनानुसार शिवपुराण में माँ विंध्यवासिनी को सती माना गया है। वे वन दुर्गा कही गई हैं। 
ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश भी भगवती का मातृ भाव में उपासना करते हैं, तभी वे सृष्टि की व्यवस्था करने में समर्थ होते हैं। 
आदिशक्ति की शाश्वत लीला भूमि माँ विंध्यवासिनी के धाम में पूरे वर्ष दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं। परन्तु चैत्र व् शारदीय नवरात्र का अवसर विशेष है। श्रद्धालु तप एवं श्रद्धा पूर्वक नमन कर सिद्धि प्राप्त हेतु संकल्प तथा सुख- शांति की कामना करते हैं। 


नमामि 

goforblessings writes on devi maa vindhyavasini 

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Comments

  1. Devi Maa, You have made heaven and earth by you great power. Your might is like no other. Bless me.

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  2. Let all the Earth worship and sing praise to MAA VINDHYAVASINI.
    MAA YOUR MIGHT IS LIKE NO OTHER.
    I BOW.

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