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Showing posts from July, 2020

आदि शंकराचार्य

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आदि शंकराचार्य महान दार्शनिक एवं धर्म प्रवर्तक थे। वे अमूल्य धरोहर व साक्षात भगवान शिव के अवतार हैं।  उनका जन्म 507 ई.पू. केरल के मालावार क्षेत्र के कालपी नामक स्थान पर हुआ। जन्म से आध्यात्मिक क्षेत्र में रूचि रही जिसके कारण सांसारिक जीवन से मोह नहीं था, अतएव उन्होंने संन्यास ले लिया। समस्त भारत में भ्रमण कर ज्ञान का प्रकाश फैलाया।  उन्होंने अद्वैत वेदांत का आधार प्रदान किया। उनका उद्देश्य प्रभु की दिव्यता से अवगत कराने के साथ भगवान शिव की शक्ति और उनकी दिव्यता को लोगों तक पहुँचाना था। शंकराचार्य जी के दर्शन को अद्वैत वेदांत कहा जाता है। उन्होंने ही इस ब्रह्म वाक्य को प्रचारित किया कि " ब्रह्म सत्य है और जगत माया ।" आत्मा की गति मोक्ष में है।  सनातन धर्म के विभिन्न विचार धाराओं का एकीकरण किया। वेदांत या उपनिषद में ही हैं दुनिया के समस्त धर्म, विज्ञान और दर्शन।  सुप्रसिद्ध ब्रह्मसूत्र, ग्यारह उ पनिषदों एवं गीता पर भाष्यों की रचनायें की। साथ ही अन्य ग्रंथों का निर्माण कर वैदिक धर्म और दर्शन को प्रतिष्ठित किया।  उन्होंने परमेश्वर के विभिन्न रूपों से अवगत,...

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, देश के पश्चिम में गुजरात के सौरास्ट्र  क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण प्रथमतः चंद्रदेव ने समुद्र के किनारे किया था।  इसका इतिहास वैभवशाली रहा इसलिए वाह्य शक्तियों ने मंदिर को कई बार तोड़ा और इसको पुनर्निर्मित किया गया।  नवीन सोमनाथ मंदिर के स्वरुप का श्रेय लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल को है, जिन्होंने स्वतंत्रता मिलने के पश्चात इसका पुनर्निर्माण कराया। पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी ने नवीन मंदिर राष्ट्र को समर्पित किया।  प्राचीन कथनानुसार शापित चंद्र अथवा सोम ने भगवान शिव की भक्तिभाव पूर्वक आराधना की। तत्पश्चात निराकार शिव उनकी दृढ़ भक्ति से प्रसन्न साकार लिंग के रूप में प्रकट हुए और चंद्र को शापमुक्त किया और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए। सोमनाथ मंदिर से दो सौ किलो मीटर दूर प्रमुख तीर्थस्थल भगवान श्री कृष्ण द्वारा स्थापित द्वारका है। यह मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने मंदिर सोमनाथ क्षेत्र में ही देह त्याग कर बैकुंठ गमन किया। इसलिए इस क्षेत्र का और भी महत्व है।  यहाँ देश ...

ब्रह्माण्ड

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ब्रह्माण्ड आदिकाल से मनुष्य की जिज्ञासा का विषय रहा है। विचारशील व्यक्ति के लिए विचारणीय व विष्मयकारी है कि -  इसकी उत्पत्ति कब और कैसे हुई ?  इसके अस्तित्व का प्रारम्भ कब हुआ ?   इसका जन्मदाता कौन है ?  ब्रह्माण्ड या जन्मदाता में से पहले कौन जन्मा ?  ब्रह्माण्ड का जन्मदाता कहाँ से आया ?  विराट ब्रह्माण्ड की मूल संरचना कैसी है ? इन समस्त प्रश्नों का उत्तर नहीं है। अतः ब्रह्माण्ड के बारे में जो भी जानकारी उपलब्ध है उसका वर्णन निम्न है। 👇 ब्रह्माण्ड समय और अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु है। ब्रह्माण्ड में सभी ग्रह, तारे गैलेक्सियाँ, खगोली पिंड, गैलेक्सियों के बीच के अंतरिक्ष की अंतर्वस्तु, अपरमाणविक कण, सारा पदार्थ और सारी ऊर्जा शामिल है। पूरे ब्रह्माण्ड का व्यास अज्ञात और अनंत है।  ब्रह्माण्ड में कुछ भी स्थिर नहीं है। सभी गतिमान और परिवर्तनशील हैं। चन्द्रमा हमारी धरती की परिक्रमा, धरती सूरज का, सूरज ब्रह्माण्ड के साथ मन्दाकिनी ( मिल्की वे ) का, मन्दाकिनी अनंत अंतरिक्ष में गतिशील है। मन्दाकिनी भी अनंत है।  ब्रह्माण्ड में ब...

ॐ ओम्

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ॐ सबसे मूल्यवान मानव धन है जो अच्छाई, शक्ति, ईश्वर भक्ति और आदर का प्रतीक है।   ॐ ओउ्म ईश्वर हैं।  अ   से   व्यापक, सर्वदेशीय और उपासना करने योग्य  उ    से   बुद्धिमान, सूक्ष्म, सब अच्छाई का मूल और नियमपालक  म    से   अनंत, अमर, ज्ञानवान और पालनकर्ता  ॐ  से उपरोक्त भाव उत्पन्न होते हैं।   ॐ  इस ब्रह्माण्ड में भरा है जैसे- आकाश। इसके उच्चारण मात्र से शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक लाभ मिलता है, जिससे प्राणी को आनंद और शांति अनुभव होता है l प्राणी को लाभ प्राप्ति हेतु अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के अभ्यास की साधना नियमतः शुद्धता, संतोष, तप, स्वाध्याय और फल की चिंता ईश्वर की कृपा पर छोड़ते हुए करना चाहिए।  अंततः ॐ के उच्चारण के साथ भावनापूर्ण ढंग से ईश्वर का ध्यान सब चुनौतियों को पार करवाने वाला सिद्ध होता है। जिस तरह हवा को देखने से नहीं बल्कि स्पर्श से पहचाना जाता है---- ----उसी तरह ॐ उच्चारण के साथ ईश्वर ध्यान से प्रभु ...

श्रीखंड महादेव

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हिमाचल के नेशनल पार्क के निकट श्रीखंड महादेव स्थित हैं ।मान्यता है कि इस चोटी पर भगवान शिव का वास है और यहाँ का शिवलिंग 72 फीट ऊँचा है । महादेव 18,570 फीट ऊँची पहाड़ी पर विराजमान हैं ।यहाँ 32 कि.मी. की चढ़ाई चढ़ कर पहुंचते हैं l  goforblessings celebrate god the father srikhand mahadev goforblessings presents narrative on a noble srikhand mahadev whom one celebrate and is a god the father. Viewers will find this narrative about noble informative in goforblessings and celebrate as god the father.

पानी तू जीवनदायिनी

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प्राचीन सभ्यताएँ, जनजातियाँ नदियों व तालाबों के समीप विकसित हुई ।  सम्पूर्ण विश्व में समस्त प्राणियों हेतु पीने एवं घरेलू उपयोग के लिए पानी नदियों द्वारा प्राप्त किया जाता है ।उद्योगों तथा कृषि सिंचाई के लिए पानी नदियों तथा वर्षा से प्राप्त करते हैं । भूमिगत जल को पम्पों से निकाल कर उपयोग में लाया जाता है ।पानी से सामाजिक,वैज्ञानिक व आर्थिक विकास हुआ है ।इस लिए पानी जीवन दायिनी है । नदियाँ जल तो प्रदान करती ही हैं, साथ ही संशोधित करने के बाद बचे हुए घरेलू व औद्योगिक अवशिष्ट पानी को भी अपने साथ बहा ले जाती हैं । समुद्र और बड़ी नदियों का उपयोग जल परिवहन के लिए किया जाता है ।सैलानियों के लिए नदियों व समुद्र का पानी कई मनोरंजन के साधन जैसे बोटिंग,राफ़्टिंग आदि उपलब्ध करता है ।नदियों से जल विद्युत भी प्राप्त होता है  पानी हमसब का आवश्यक मित्र है ।प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि पानी का अति दोहन नहीं करें और इसे प्रदूषित होने से बचायें । goforblessings creative noble paani tu jeevandayini goforblessings presents narrative on a noble paa...

द्वारिकाधीश श्री कृष्ण

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                                                                श्री द्वारिकाधीश                                                                          राधा मंदिर                                                सुदामा मंदिर                                                 🙏🙏🙏🙏 श्री कृष्ण विष्णु भगवान के अवतार थे। ये निष्काम, कर्मयोगी, दार्शनिक, स्थितप्...

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

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प्रसिद्ध नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारिका पूरी से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है ।यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों के कथनानुसार सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी भगवान शिव के अनन्य भक्त थे।वे उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में मन, वचन और कर्म से पूर्णतः तल्लीन रहते। एक बार संकट में घिर जाने पर भक्त सुप्रिय ने घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और अपने भक्त के कष्टों का निवारण किया ।नागेश्वर अर्थात् नागों का ईश्वर । यह विष से वचाव का सांकेतिक भी है । इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन की महिमा है ।जो श्रद्धा पूर्वक इनका दर्शन करता है वह सभी पापों से मुक्ति प्राप्त करता है ।                                          🙏🙏🙏🙏🙏 goforblessings celebrate noble god the father nageshwar jyotirling goforblessings presents narrative on a noble nageshwar jyotirling whom one celebrate a...

गुरू पूर्णिमा

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आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूर्णिमा कहते हैं ।गुरू पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरंभ में हर वर्ष मनाया जाता है ।इस दिन गुरू पूजा का विधान है । गुरू चरणों में उपस्थित साधकों को ज्ञान, भक्ति और योग शक्ति की प्राप्ति होती है । गुरू पूर्णिमा महाभारत के रचयिता वेद व्यास जी की जयंती है। वे प्रकांड विद्वान् थे और उन्होंने चारों वेदों की भी रचना की थी।उन्हें आदि गुरू कहा जाता है और उनके सम्मान में गुरू पूर्णिमा मनाया जाता है। अन्धकार को हटा कर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को गुरू कहा जाता है।गुरू की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। इसलिए इस दिन गुरू पूजा का विधान है।               goforblessings creative noble person guru goforblessings presents narrative on a noble person guru whom one celebrate and is a god the father. Viewers will find this narrative about noble person guru informative in goforblessings and celebrate as god the father.